इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले 10 साल में बैंकों के सात लाख करोड़ रुपये डूब गए. अख़बार ने रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से इस बारे में आरटीआई यानी सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी जिसके जवाब में रिज़र्व बैंक ने ये जानकारी दी है.
अख़बार लिखता है कि अकेले 2018 में नौ महीने के भीतर बैंकों ने एक लाख छप्पन हज़ार सात सौ दो करोड़ (1,56,702) रुपये का कर्ज़ राइट ऑफ़ कर दिया यानी बैंकों ने माना कि उन्होंने ये रकम बट्टा खाते में डाल दी है.
इसे इस तरह भी कहा जा सकता है कि बैंक इस कर्ज़ की वसूली प्रक्रिया तो जारी रखते हैं, लेकिन बही-खाते को साफ़-सुथरा रखने के लिए इसे बट्टा खाते में डाल दिया जाता है.
रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2014 से लेकर अब तक यानी पांच साल के भीतर बैंकों के 5 लाख 55 हज़ार 603 करोड़ रुपये डूबे हैं.